आर्यभट भारतीय गणितज्ञ और ज्योतिषी थे, जो कुशमपुरम (आज के पटना, बिहार) में 5वीं शताब्दी के आस-पास जीते थे। वे एक महत्वपूर्ण गणितीय कार्य, "आर्यभटीय" की रचना करने वाले प्रमुख गणितज्ञ थे, जिसमें ज्योतिष और गणित के कई पहलुओं को विस्तार से विवेचना किया गया था।
आर्यभट का काम गोला और ग्रहण ज्योतिष (ऑस्ट्रोनॉमी) के क्षेत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने ग्रहों की गति और चाँद के ग्रहणों के लिए गणना किया और अपने काम में मानवीय त्रिकोणमिति का भी प्रयोग किया। आर्यभट के काम ने गणित और ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया और उन्हें भारतीय गणितज्ञों के सर्वोत्तम में से एक माना जाता है।
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