ब्रह्मगुप्त (Brahmagupta) भारतीय गणितकार और ज्योतिषी थे, जिन्होंने 7वीं शताब्दी के आस-पास जीते थे। वे गुप्त राजवंश के योगीश्वर (महाधिपति) थे और उनका काम भारतीय गणित और ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।
ब्रह्मगुप्त ने गणित के कई पहलुओं पर विचार किए, जैसे कि बीजगणित (बीजांक और बीजगणितीय समीकरणों के बारे में) और त्रिकोणमिति (त्रिभुजों के आयाम और कोणों के बारे में)। उन्होंने नूल और शून्य (जीरा) की प्रथम अंशकीय वर्णन किया और उनका काम गणित में शून्य का महत्वपूर्ण स्थान दिया। उनकी प्रमुख ग्रंथ "ब्रह्मस्फुतसिद्धांत" गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और उन्हें गणितीय विशेषज्ञ के रूप में माना जाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें